नायला फोर्ट राजा भीखमदेव देवड़वाल
मीणा समाज के गौरवशाली इतिहास में
मीणा जाति के वीरों की गाथाएं अनगिनत हैं। ग्यारहवीं शताब्दी में
देवड़वाल गौत्र के मीणों का क्यारा राज्य शक्तिशाली था, जिसमें राजा
भीखमदेव का शासन था। इस दौर में मीणा समाज ने अपने पराक्रम से राजपूतों को चुनौती दी और गौरवशाली इतिहास रचा।
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image based on the historical scene from the 11th century, highlighting Nahil Singh, the Meena warriors, and the establishment of Naila city. |
भीखमदेव के पुत्र नाहिल सिंह, जिनकी गिनती मीणा समाज के महान योद्धाओ के रूप में की जाती है,उन्होंने
ढूंढ़ाड़ प्रदेश में
खोहगंग से 15-20 किलोमीटर दूर
नायला नगर की स्थापना की जहां वर्तमान में
नायला फोर्ट के नाम से प्रसिद्द है ।
नाहिल सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाकर
मीणा समाज के गौरव को और ऊंचाई दी। नायला के निकट
बचलाणां, जिसे आजकल 'बूज' कहते हैं, समृद्धिशाली गाँव था और वहाँ नाहिल सिंह ने सैनिक छावनी स्थापित की। मीणा समुदाय के लिए यह राज्य एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था, जिसने अपनी संस्कृति और पराक्रम को पूरे क्षेत्र में स्थापित किया।
जब नाहिल सिंह अपनी पत्नी को खोहगंग से लाने गए, तो इस बीच कछावा राजपूतों ने बचलाणा पर हमला किया। नाहिल सिंह और उनके पिता भीखमदेव, जो मीणा समाज के शक्तिशाली योद्धा थे, ने राजपूतों का सामना किया। इस संघर्ष में मीणा वीरों ने अप्रतिम वीरता दिखाई, लेकिन संख्या में कम होने के कारण नाहिल सिंह और उनके 12 भाई वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी बहने भी कही पीछे नहीं रही उन्होंने तीर कमान लेके युद्ध में उतर गई और लाली और लुधा भी मीणा समाज की वीरांगनाओं के रूप में इतिहास में दर्ज हो गईं, जिन्होंने शत्रु से लोहा लिया और वीरगति को प्राप्त हुईं।
आज भी नायला में मीणा समाज के योद्धाओं की स्मृतियाँ जीवित हैं। नाहिल सिंह की वीरता के स्मारक और नायल भौमिया का स्थान इस गौरवशाली इतिहास को जीवंत रखते हैं। नायला का यह प्राचीन वैभव अब भले ही नहीं रहा, लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की नायला यात्रा से यह नगर फिर से चर्चा में आया।आपने नायला फोर्ट के बारे में सुना ही होगा।
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