मीणा इतिहास

बावन कोट छप्पन दरवाजा – मीणा मर्द नहाण का राजा।"

          बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मर्द                         नहाण का राजा। "

सब्जी काटने पे कैद मीणा समाज

                    सब्जी काटने पे कैद


..............मीणा जाति का शस्त्र रखने का अधिकार न होना एक  अन्याय था,  यह न केवल मीणा समुदाय की स्वतंत्रता और सुरक्षा को सीमित करता था, बल्कि एक बड़ा सामाजिक भेदभाव भी था।
भारत की सामाजिक व्यवस्था और जातिगत भेदभाव का इतिहास काफी लंबा और जटिल रहा है।  Criminal Tribes  Act आने के बाद तो ये मीणा समुदाय के लिए इसने क्रूर रूप धारण कर लिया था भारतीय समाज में कुछ जातियों को विशेष अधिकार दिए गए थे, जबकि मीणा समाज को न केवल सामाजिक प्रतिष्ठा में बल्कि शारीरिक सुरक्षा और आत्मरक्षा के अधिकार में भी कमी का सामना करना पड़ा। 
            समाज के कुछ वर्गों द्वारा मीणा जाति को हमेशा ही निचली जातियों के रूप में देखा गया, और यही कारण था कि उन्हें हथियार रखने का अधिकार नहीं था। यह आदेश विशेष रूप से उस समय के सामंती समाज और शासकों द्वारा लागू किए गए थे, जो अपनी शक्ति और अधिकार को बनाए रखने के लिए ऐसे नियम बनाते थे।
Criminal tribe Act of Meena community .

            मीणा जाति को केवल लाठी के उपयोग की अनुमति दी गई थी, जबकि तलवार, भाला, बन्दूक या पिस्तोल यन्हा  तक सब्जी काटने के लिए चाकू और फसल काटने के लिए औजार भी नामांकित कराने होते थे  यह न केवल एक प्रकार की सामाजिक असमानता थी, बल्कि यह उनके आत्मरक्षा के अधिकार को भी सीमित करता था।
            मीणा समुदाय के लोग अपने घर में लोहे का चाकू या छूरी भी नहीं रख सकते थे। इस नीति ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से कमजोर किया, बल्कि मानसिक रूप से भी एक ऐसी स्थिति में डाल दिया, जिसमें वे अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर हो गए थे।
     जब एक समुदाय को शस्त्र रखने का अधिकार नहीं होता, तो उनका स्वाभिमान भी प्रभावित होता है। आत्मरक्षा के साधनों से वंचित रहने की स्थिति में मीणा समाज के समुदाय के लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने में असमर्थ थे यह एक गंभीर सामाजिक अन्याय था, जिसने समाज के विकास में बाधाएं डालीं। इस प्रकार के प्रतिबंधों का उद्देश्य सामाजिक और जातिगत भेदभाव को और गहरा करना था।
        जहाँ मीणा जाति के लोग अपने हक से वंचित थे, वहीं दूसरी ओर समाज में हमे कमजोर और असुरक्षित वर्ग के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह वर्गीकरण हमारे आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को तोड़ता था और हमे समाज में अपनी पहचान स्थापित करने में मुश्किलें आई। 
नोट; कुछ अन्य तथ्य मीनेष ज्ञान–सागर द्वारा

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