अभ्यस्त अपराधी कानून
भारतीय कानून के एक विवादास्पद प्रावधान ने
मीणा जाति के लोगों के खिलाफ एक भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण नीति को जन्म दिया। इस क़ानून के अनुसार,
मीणा जाति के किसी व्यक्ति को केवल एक ही बार अपराध करने पर 'अभ्यस्त अपराधी मतलब
History Sheeter घोषित कर दिया जाता, जबकि अन्य जातियों के लिए यह सीमा तीन अपराधों के बाद तय की गई थी
मतलब हम ने की तो चोरी दूसरा करे तो once more once more यह नियम जातिगत भेदभाव और मीणा समाज के प्रति गहरे पूर्वाग्रह का एक स्पष्ट उदाहरण था, जिसने उनके नागरिक अधिकारों को दबाने का एक और प्रयास किया।
इस असमान कानून ने
मीणा जाति के लोगों में व्यापक आक्रोश पैदा किया। उनके नेतृत्वकर्ताओं,
श्री झरवाल और भगवान सिंह तिरंगी, ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
इस संघर्ष की कहानी केवल एक कानून का विरोध नहीं थी, बल्कि यह हाशिए पर खड़े एक समुदाय के अधिकारों और उनकी पहचान को लेकर एक निर्णायक संघर्ष थी। इस कानून के खिलाफ
मीणा समाज का संघर्ष उनकी हिम्मत और एकता का प्रतीक बन गया, जिससे भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई को एक नई दिशा मिली।
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