मीणा इतिहास

बावन कोट छप्पन दरवाजा – मीणा मर्द नहाण का राजा।"

          बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मर्द                         नहाण का राजा। "

मोहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन ऐबक से मीनाओं का युद्ध




12वीं सदी का समय था, जब राजस्थान की धरती पर एक नया संकट आ गया था। कुतुबुद्दीन ऐबक की सेनाएँ दिल्ली और अजमेर पर कब्जा कर चुकी थीं, और अब उनकी नजरें राजस्थान पर थीं। राजपूतों के अलावा, मीणा जनजाति ने भी इस आक्रमण के खिलाफ खड़े होने का फैसला किया।
                मीणा सामंतों ने सभी राजपूत राजाओं से मिलकर एकजुटता का आह्वान किया। उन्होंने चालुक्य राजा भीम को भी अपने साथ शामिल करने का फैसला किया। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे सभी मिलकर विदेशी आक्रमणकारियों का सामना करने को तैयार हुए।
          पर जब कुतुबुद्दीन ऐबक को मीणा जनजाति की तैयारियों का पता चला, तो उसने अपनी विशाल सेना को भेजा। लेकिन मीणा योद्धा हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने अपनी धरती की रक्षा के लिए पूरी ताकत से लड़ाई की। युद्ध के मैदान में, उनकी बहादुरी और रणनीति ने दुश्मनों को चौंका दिया।
                           चालुक्य राजा भीम की सेना भी मीणा की सहायता के लिए पहुंच गई। इस गठबंधन की ताकत ने ऐबक की सेना को पहली बार पराजित कर दिया। ऐबक, अपनी हार के बाद, आत्मरक्षा के लिए किले में छिप गया।
            हालांकि, गजनी से मोहम्मद गौरी की सेना ने ऐबक की मदद के लिए आकर स्थिति को बदल दिया। उनकी सहायता से, ऐबक ने मीणा जनजाति को फिर से पराजित किया। लेकिन इस संघर्ष ने मीणा जनजाति की वीरता को इतिहास में अमर बना दिया। शायद हमारे लोग भी इसी तरह अपना साथ देते तो अपना इतिहास यू धूमिल नही होता  ।
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                         मीनेष ज्ञान–सागर
                       

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