मीणा इतिहास

बावन कोट छप्पन दरवाजा – मीणा मर्द नहाण का राजा।"

          बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मर्द                         नहाण का राजा। "

सर कटाने पे नाम पड़ा कोटा {गर्दन कटवाने के बावजूद भी तलवार लेकर लड़े करीब100 फीट तक युद्ध करते हुए उनका शरीर }

             सर कटाने पे नाम पड़ा कोटा 
{गर्दन कटवाने के बावजूद भी तलवार लेकर लड़े। } {करीब100 फीट तक युद्ध करते हुए उनका शरीर   }


हाड़ौती के जंगलों में एक शक्तिशाली राज्य था, अकेलगढ़। यहां का शासक था कोट्या भील,  उसकी शक्ति को चुनौती देने वाले कई शासक थे, जिनमें समरसी, जो बूंदी का शासक था, भी शामिल था। समरसी ने कई बार कोट्या के साम्राज्य पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा।

समरसी का तीसरा पुत्र, जैतसी, उसकी निगाहें कोट्या के साम्राज्य पर रहतीं।  जैतसी ने सोचा कि अब वह कोट्या भील को किसी चालाकी से हराएगा। 
          जैतसी ने कोट्या भील को एक दोस्ती का प्रस्ताव भेजा और कहा, "हम आपको एक दावत देना चाहते हैं।" कोट्या भील ने इसे स्वीकार कर लिया और इसे एक सामान्य मित्रवत समारोह समझा। जैतसी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद कोट्या से यह शर्त रखी कि दावत उसकी तरफ से होगी, लेकिन आयोजन की सारी व्यवस्था हाड़ाओं की होगी।
          हाड़ा जैतसी ने एक बड़ी योजना बनाई। उसने एक बाड़े का निर्माण कराया, जिसमें उसके नीचे बारूद भरा गया। कोट्या और उसके अन्य भील सरदारों को बुलाकर एक शानदार दावत दी गई। खाने में मद्यपान कराया गया और सभी को नशे में झोंक दिया गया। इस दौरान जैतसी के लोग बाहर निकल गए और एक छुपे हुए सुरंग में आग लगवा दी। धमाके से कई भील सरदार जलकर भस्म हो गए, लेकिन कोट्या और कुछ सरदार बच गए। 
      कोट्या भील ने अपने बचे हुए साथियों के साथ युद्ध की तैयारी की। यह युद्ध उस समय कोटा के पास स्थित चार भुजाजी मंदिर के सामने हुआ। इस युद्ध में कोट्या भील ने हाड़ाओं के सेनापति सैलारखां पठान को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन यह कोट्या की अंतिम लड़ाई थी। वह इतने साहसी थे कि अपनी 
गर्दन कटवाने के बावजूद भी तलवार लेकर लड़े। करीब 100 फीट तक युद्ध करते हुए उनका शरीर गिर पड़ा, लेकिन उनकी वीरता और साहस की कहानी आज भी जीवित है।

कोट्या भील की वीरता को सम्मान देने के लिए हाड़ाओं ने 1321  कोट्या भील के नाम पर कोटा नगर बसाया। आज भी कोटा में एक दरवाजे का नाम 'भीलपोड़ी' रखा गया है, जो कोट्या की याद दिलाता है। 

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