मीणा इतिहास

बावन कोट छप्पन दरवाजा – मीणा मर्द नहाण का राजा।"

          बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मर्द                         नहाण का राजा। "

मीनाओं का एक कटा सिर तो मिलेगा एक सिक्का

                एक सिक्का एक कटा सिर


                       मीनेष ज्ञान–सागर

सुल्तान काल (1266-1526 ई.) मीणों पर जो अत्याचार किए गए, वह हमारे समाज की संघर्ष और साहस की कहानी को दर्शाते हैं। उस समय जब मीनाऔ को "चोर और डाकू" कहकर  समाज से अलग करके नष्ट करने की कोशिश की जा रही थी, हमारी स्वतंत्रता की भावना ने हमे कभी हार मानने नहीं दि। जनरल कनिंघम के शब्दों में, "मुसलमान राज की प्रारंभिक सदी में मीनाओ का निर्दयतापूर्वक संहार किया गया," और हजारों को मौत के घाट उतार दिया गया।
  उलगू खाँ के नेतृत्व में मेवात की पहाड़ियों पर आक्रमण किया गया, और मीणाओं को पकड़ने और मारने के लिए इतनी क्रूरता और बर्बरता अपनाई गई थी कि मरे हुए व्यक्ति के सिर पर एक चांदी का सिक्का पुरस्कार दिया जाता था। इसका मतलब था कि जो व्यक्ति मारा गया, उसकी मौत के बाद उसका सिर काटकर लाकर देने पर एक चांदी का इनाम मिलता था। और जो व्यक्ति जिंदा पकड़ा जाता था, उसके लिए दो चांदी के टंके दिए जाते थे। हर कटा हुआ  सिर लाने  पर एक चांदी का सिक्का सोचो कितना अन्यायपूर्ण दृश्य होगा ये मीनाओ की लाशों से सर को काटा गया अपने आप में ही एक खौफनाक मंजर  है
              उस समय हमारी जान और की कोई कीमत नहीं थी। हमारे घर वालो को हमारा अधूरा शरीर मिलता था सोचिए सर कटा धड़ ऐसे ही नहीं हमारी माताओं और  बहनों को मजबूत नही  कहा  जाता सोचिए जिस सुंदर से चेहरे को देखकर उन्होंने राखी बांधी जिन माताओं ने उन्हे अपने हाथ से निवाला खिलाया उसका सिर हा ना मिले वो प्यारा सा चेहरा ही ना मिले  माना युद्ध में मृत्यु सत्य है पर चेहरा ही देखने को ना मिले ये कहा का न्याय है ये सब हमे मानसिक रूप से कमजोर करने के लिए था हमारी माता – बहने भी किसी शूरवीर से कम नहीं थी ।
            लेकिन इन सभी अत्याचारों के बावजूद, हमारे समाज के लोगों ने कभी अपनी स्वतंत्रता की भावना को नहीं छोड़ा। मीनाओं ने इस कठिन समय में भी अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा की, और यही हमारी सच्ची पहचान है।

नोट ; कुछ और सार्वभोमिक तथ्य
                  👉 मीनेष ज्ञान–सागर


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