जामडोली – जामा राव मीणा साम्राज्य
जामडोली नगर राज्य
ढूंढ़ाड़ क्षेत्र में एक प्राचीन
मीणा गणराज्य था, जिसका महत्त्व महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है।
कछावा राजपूतों के आगमन से पहले, इस क्षेत्र में मीणा समाज का प्रभुत्व था, जिनके कई छोटे-छोटे गणराज्य इस भूमि पर स्थापित थे। जामडोली, उनमें से एक प्रमुख नगर राज्य था, जिसकी सीमा जयपुर की सरगासूली तक फैली थी।
जामडोली नगर राज्य राव जामा के शासन के अधीन था, जहाँ
ताड़केश्वर जी का मंदिर और आसपास के प्राचीन स्थलों को
मीणा समाज द्वारा संरक्षित और पोषित किया गया।
घाट की गूणी और आसपास के क्षेत्रों में मीणों के नगर राज्य स्थापित थे। यहाँ के मंदिर, जैसे
बालाजी का प्राचीन मंदिर, मीणा समाज द्वारा ही बनवाया गया था। यह सभी नगर जयपुर के मुगलकालीन नगर से पहले के थे और इनके स्थापत्य में प्राचीन भारतीय शैली की झलक मिलती है।
जामडोली के पास
साँषता मीणा का स्मारक यहाँ की प्राचीन भोगों की उपस्थिति का प्रमाण है।
अचरोल के पास से निकलने वाली
हुँद नदी के आसपास की बस्तियाँ प्राचीन मीणा सभ्यता की तीर्थस्थली के रूप में जानी जाती हैं।
राणेश्वर के आसपास मिले अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस क्षेत्र में मीणा सभ्यता का व्यापक प्रसार था।
मीणा समाज ने
ढूंढ़ाड़ की प्राचीन संस्कृति को संजोए रखा, जिसके अवशेष और धरोहर आज भी इस क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। आधुनिक जयपुर के विपरीत, यहाँ के भवन और मंदिर प्राचीन स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं, जो मीणा समाज की स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।
जामडोली नगर राज्य और आसपास के क्षेत्रों में मीणा जाति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यहाँ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें इस बात का साक्ष्य हैं कि मीणा समाज ने इस क्षेत्र की संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया।
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