मीणा इतिहास

बावन कोट छप्पन दरवाजा – मीणा मर्द नहाण का राजा।"

          बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मर्द                         नहाण का राजा। "

खून से लाल हुई धरती. मीनाओ की बर्बर हत्या / राजस्थान का जलियांवालाकांड

17 नवंबर 1913 मीना समाज का दर्दनाक इतिहास जिन पन्नो को खोला गया तो शायद आपके रोंगटे खड़े हो जाए पर आपको सच्चाई से अवगत न कराया जाए तो ये अपने शूरविरो का अपमान होगा

       राजस्थान का जलियांवाला हत्याकांड 
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                   मानगढ़ नरसंहार
मानगढ़ धाम, भील और मीना समुदायों के लिए एक पवित्र स्थल है, जो आदिवासी नेताओं और ग्रामीणों की एक शांतिपूर्ण सभा का स्थल था। इस बैठक का उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों, भूमि अधिकारों और सामाजिक अन्याय पर चर्चा करना था।

17 नवंबर, 1913 को, मेजर एच. डी. ग्रिफिन के नेतृत्व में ब्रिटिश औपनिवेशिक सेनाएँ मानगढ़ धाम पहुँचीं। बिना किसी चेतावनी के, उन्होंने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाईं, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए।
*नरसंहार के पीछे कारण:*

1. _औपनिवेशिक भय_: ब्रिटिश अधिकारियों ने इस सभा को अपने अधिकार के लिए खतरा माना और संभावित विद्रोह की आशंका जताई।
 2. _भूमि विवाद_: जनजातीय समुदाय खनन और कृषि उद्देश्यों के लिए अपनी भूमि अधिग्रहण करने के ब्रिटिश प्रयासों का विरोध कर रहे थे।

3. _सामाजिक अशांति_: जबरन श्रम, कराधान और सांस्कृतिक दमन के बारे में आदिवासियों में असंतोष बढ़ रहा है।

1. _अनुमानित मृत्यु दर_: 1,500 से 2,000 लोगों की मौत।

2. _घायल_: सैकड़ों लोग घायल, कई गंभीर रूप से घायल।

3. _गिरफ्तारियाँ_: कई जनजातीय नेताओं और ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाला गया।
*शामिल प्रमुख व्यक्ति:*

1. _मेजर एच. डी. ग्रिफिन_: नरसंहार के लिए जिम्मेदार ब्रिटिश औपनिवेशिक बलों का नेतृत्व किया।

2. _भारत के गवर्नर-जनरल_: लॉर्ड हार्डिंग, जिन्होंने बाद में इस घटना पर खेद व्यक्त किया।

3. _आदिवासी नेता_: राव जीवा, राव धीर और अन्य जिन्होंने शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया।
 *जांच और प्रतिक्रियाएँ:*

1. _सरकारी जाँच_: सर रेजिनाल्ड क्रैडॉक की अध्यक्षता वाली एक समिति ने घटना की जाँच की, और निष्कर्ष निकाला कि अत्यधिक बल का प्रयोग किया गया था।

2. _सार्वजनिक आक्रोश_: पूरे भारत में व्यापक निंदा, विरोध और न्याय की माँग।

3. _ब्रिटिश प्रतिक्रिया_: आधिकारिक माफ़ी और मुआवज़ा की पेशकश की गई, लेकिन कोई सार्थक सुधार लागू नहीं किया गया।

*विरासत और प्रभाव:*

1. _आदिवासी अधिकार आंदोलन_: मानगढ़ धाम नरसंहार ने भारत में आदिवासी अधिकार आंदोलन को गति दी।

2. _भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन_: घटना ने उपनिवेशवाद विरोधी भावना को हवा दी, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया।

3. _स्मरण_: पीड़ितों को सम्मानित करने के लिए मानगढ़ धाम में वार्षिक स्मरणोत्सव आयोजित किया जाता है
मानगढ़ धाम नरसंहार शांतिपूर्ण विरोध का क्रूर दमन था, जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के काले पहलुओं को उजागर किया। इस त्रासदी को याद रखना भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आदिवासी अधिकारों के लिए चल रही लड़ाई को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।Wikipedia

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